नई दिल्ली: भाजपा के सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने शुक्रवार को आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की मौत की समयबद्ध और निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि किसी को भी, चाहे उनकी स्थिति या प्रभाव कुछ भी हो, बख्शा नहीं जाना चाहिए।
इस मामले पर पासवान ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति से संबंधित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की कथित आत्महत्या प्रशासनिक व्यवस्था में जाति उत्पीड़न की निरंतर उपस्थिति का संकेत देती है। केंद्रीय मंत्री ने सैनी से कहा, यह सिस्टम में जहर की तरह फैला हुआ है।
दलित नेता ने सैनी से भी बात की और मृतक अधिकारी की पत्नी को फोन कर संवेदना व्यक्त की।
एलजेपी (आरवी) अध्यक्ष ने कहा, अगर किसी अधिकारी को उसकी जाति, विचारधारा और ईमानदारी के कारण मानसिक उत्पीड़न सहना पड़ता है, तो यह न केवल निंदनीय है, बल्कि संविधान की आत्मा पर भी आघात है।
चंडीगढ़ पुलिस ने समयबद्ध तरीके से “त्वरित, निष्पक्ष और गहन जांच” के लिए हरियाणा पुलिस अधिकारी की कथित आत्महत्या की जांच के लिए शुक्रवार को छह सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया।
कुमार द्वारा छोड़े गए एक सुसाइड नोट में कई अधिकारियों पर उन्हें परेशान करने का आरोप लगाया गया है। कुमार की पत्नी ने कहा है कि उनकी मृत्यु उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा “व्यवस्थित उत्पीड़न” का परिणाम थी।
दलित पासवान ने कहा कि “सुसाइड नोट” में कुमार के शब्द प्रशासनिक तंत्र की आत्मा को हिला देते हैं, उन्होंने कहा कि यह घटना देश के राष्ट्रपति और संवैधानिक मर्यादा से जुड़ी है।
पासवान ने कहा, यह दुखद है कि एक अधिकारी जिसने अपना जीवन कानून, अनुशासन और सेवा के लिए समर्पित कर दिया, उसे आखिरकार इस “अमानवीय व्यवस्था” के सामने झुकना पड़ा।
उन्होंने सैनी से कहा कि मामले में सख्त, पारदर्शी और निर्भीक कार्रवाई से देश में यह संदेश जाएगा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, न किसी का पदनाम, न प्रतिष्ठा या प्रभाव।