छपरा साइबर थाना केस: मनीष कश्यप पर नहीं था मामला
सारण पुलिस द्वारा छपरा साइबर थाने में 11 डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म और उनके संचालकों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर अफवाहों का दौर शुरू हो गया। कुछ न्यूज़ पोर्टलों ने इस मामले में मनीष कश्यप का नाम जोड़कर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की, जिससे यह धारणा बनने लगी कि छपरा पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने वाली है।इस अफवाह के बीच मनीष कश्यप ने गुरुवार देर रात लाइव आकर घोषणा की कि वे छपरा आ रहे हैं और अपनी गिरफ्तारी देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वे भाजपा में हैं, और अगर उनकी गिरफ्तारी से पार्टी की छवि पर असर पड़ता है, तो वे इस्तीफा देने को तैयार हैं।
छपरा पहुंचने से पहले ही भारी भीड़ मनीष कश्यप के छपरा पहुंचने से पहले ही साइबर थाना और एसपी आवास के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। इस दौरान मसरख के युवराज सुधीर सिंह भी अपने काफिले के साथ छपरा पहुंचे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बंद कमरे में बैठक हुई, जिसमें भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के लगातार फोन आते रहे।भाजपा का समर्थन और मनीष कश्यप का बयान बैठक के बाद मनीष कश्यप ने बयान दिया कि अगर बिहार में कहीं भी किसी के साथ अन्याय होता है, तो वे आवाज उठाएंगे, लेकिन वह आवाज एकतरफा नहीं होगी। उन्होंने भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी आवाज उठाने के बाद पूरे मामले की जांच की गई, जिससे स्पष्ट हो गया कि उनका नाम इसमें नहीं था।उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसी पत्रकार के खिलाफ गलत खबर का मामला आने पर पुलिस को पहले 48 घंटे के भीतर नोटिस जारी करना चाहिए। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिलता और विवादित सामग्री नहीं हटाई जाती, तभी मामला दर्ज होना चाहिएडिजिटल मीडिया के लिए आग्रह।मनीष कश्यप ने डिजिटल मीडिया के पत्रकारों से आग्रह किया कि वे खबरें संतुलित तरीके से दिखाएं। साथ ही, उन्होंने बिहार पुलिस से अनुरोध किया कि जिस तरह प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आधिकारिक जानकारी दी जाती है, उसी तरह डिजिटल मीडिया को भी सही सूचना उपलब्ध कराई जाए, ताकि किसी तरह के गतिरोध की स्थिति न बने।मनीष कश्यप ने खुद सामने आकर स्थिति स्पष्ट की, जिससे मामले की वास्तविकता सामने आ सकी।
छपरा साइबर थाना केस: मनीष कश्यप पर नहीं था मामला, मनीष कश्यप का नाम जोड़कर बदनाम किया गया
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